शहर जल रहा है एफआईआर का सही समय कब आएगा हाईकोर्ट
सीएए के खिलाफ उत्तर पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा पर बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, जो जेड सुरक्षा के साथ चलते हैं और ऊचे ओहदों पर बैठे हैं, उन्हें लोगो के बीच जाना चाहिए ताकि कानून में लोगों का भरोसा जगा सकें।
जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस तलवंत सिंह की पीठ के समक्ष भड़काऊ भाषण मामले में सुनवाई के दौरान जब पुलिस की और से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, उचित समय पर एफआईआर दर्ज करेंगे। जस्टिस मुरलीधर ने हैरानी जताई, उपयुक्त समय कब आएगा, जबकि शहर जल रहा है। आपके पास भड़काऊ भाषणों की क्लिप हैं, तो किसका इंतजार कर रहे हैं? एफआईआर क्यों नहीं दर्ज कर रहे हैं?
पीठ ने हिंसा में आईबी जवान की मौत को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए पीड़ितों और उनके परिजनों के लिए हेल्पलाइन डेस्क बनाने का निर्देश दिया और पीड़ितों के लिए निजी एम्बुलेंस को भी मदद देने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा, शांति समिति गठित कर लोगों से बात करने भेजा जाए। पीठ ने हाईकोर्ट की वकील जुबेदा बेगम को न्यायमित्र नियुक्त किया। हाईकोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर की याचिका पर यह निर्देश दिए।
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एफआईआर पर आदेश दो मार्च को
दिल्ली का एक कोर्ट कथित भड़काऊ भाषण मामले में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, भाजपा संसद प्रवेश वर्मा पर एफआईआर दर्ज करने या न करने पर दो मार्च को आदेश देगा। दिल्ली पुलिस ने अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहुजा की कोर्ट को बताया, पहली नजर में ठाकुर और वर्मा के खिलाफ संज्ञेन अपराध नहीं बनता।
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की पीठ भी ठोंकी
हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस की तारीफ भी की। पीठ ने कहा, जब हम आधी रात में फैसला लिख रहे थे, पुलिस सही काम करते हुए घायलों को बचा रही थी। दरअसल, मंगलवार रात को दिल्ली हाईकोर्ट की विशेष सुनवाई जस्टिस मुरलीधर के आवास पर हुई थी। हाईकोर्ट ने मरीजों को अस्पताल में शिफ्ट करने का निर्देश दिया था और रिपोर्ट भी तलब की थी।
कोर्ट रूम में चला कपिल मिश्रा का भड़काऊ वीडियो
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई और कोर्ट रूम में भाजपा नेता कपिल मिश्रा के भड़काऊ भाषण का वीडियो चलवाया। कोर्ट ने पुलिस से पूछा कि क्लिप में कपिल के बगल खड़े पुलिस अधिकारी कौन हैं? कोर्ट ने कहा, अब हालत नियंत्रण से बाहर जा रहे हैं। भड़काऊ भाषणों के वीडियो वायरल हैं। सैकड़ों लोगों ने इन्हे देखा। तब भी आप सोचते हैं कि एफआईआर दर्ज करना जरुरी नहीं है?
पुलिस की और से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, मैंने अभी वीडियो नहीं देखे हैं। इस पर कोर्ट ने डीसीपी (क्राइम ब्रांच) राजेश देव से पूछा, क्या आपने वीडियो देखे हैं? डीसीपी ने कहा, उन्होंने अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के वीडियो देखे हैं, कपिल का नहीं। इस पर हाईकोर्ट ने कहा, ऑफिस में कई टीवी हैं। पुलिस अधिकारी कैसे कह सकते हैं कि वीडियो नहीं देखे। हम पुलिस कार्यवाई से हैरान हैं। इस पर मेहता ने कहा, पुलिस पिकनिक पर नहीं गई है। वे एसिड अटैक झेल रहे हैं।
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दिल्ली हाईकोर्ट ने दिए निर्देश
- जिनके रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों की जान गई है , उन्हें प्रशासन भरोसे में ले और पूरे सम्मान से अंत्येष्टि कराएं।
- एक हेल्पलाइन और हेल्पडेस्क बनाया जाए। दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि जल्द ही इस पर अमल होगा।
- एम्बुलेंस की पर्याप्त व्यवस्था की जाए और इनके पहुंचने में कोई बाधा ना आने पाए।
- अगर पर्याप्त आश्रयगृह नहीं हैं तो इसकी व्यवस्था की जाए।
- कोर्ट ने कहा, इन आश्रयगृहों में कंबल, दवाई, शौचालय और पानी की व्यवस्था मुस्तैद हो।
- जिला विधिक सेवा प्राधिकरण 24 घंटे की हेल्पलाइन शुरू करे, ताकि जरूरतमंद की मदद हो।
- हिंसा के पीड़ितों की मदद करने के लिए पर्याप्त संख्या में पेशेवरों को तैनात किया जाए।