पत्थरों को काटकर किए गए प्राचीन निर्माण
दोस्तों, भारत की संस्कृति हजारों साल पुरानी है और हमारी संस्कृति काफी समृद्ध भी थी। हमारे पूर्वज हर कला में माहिर थे और पूरे विश्व में भारत और भारतीय कला की ही छाप थी। तभी तो हमारे देश को सोने की चिड़िया कहा जाता था। हमारे पूर्वज इस देश में कुछ ऐसी निशानियां छोड़ गए है कि उन्हें देख कर शायद ही किसी को विश्वास हो कि प्राचीन काल में भी इस तरह का निर्माण संभव था। ऐसे ही कुछ महान निशानियों में से चट्टानों को काट कर मंदिरों और गुफाओं का निर्माण भी है।
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इन मंदिरों को इतनी खूबसूरती से बनाया गया है कि लोग सोच में पर जाते हैं कि आखिर चट्टानों को काट कर और इतने कम संसाधन में ऐसा निर्माण कैसे संभव हुआ। चट्टानों को काटकर मुख्यतः मंदिर का निर्माण किया गया है। चट्टानों को काटकर 1500 से ज्यादा मंदिरों और गुफाओं का निर्माण किया गया है। इन सभी का निर्माण 100 BC से 12विं शताब्दी तक किया गया। आज हम ऐसे ही प्राचीन मंदिरों और इसके रहस्यमय निर्माण के बारे में बताएंगे।
बराबर गुफाएँ (Barabar Caves)
Barabar Caves का निर्माण 250 BCE के आस पास अशोक और मौर्य साम्राज्य के शासन काल में किया गया था। Barabar Caves के साथ ही चट्टान काट कर निर्माण करने का दौर शुरू हुआ। इसी समय में कई सारे गुफाओं का निर्माण किया गया। Barabar Caves में कारीगर की कुशलता देखते ही बनती है। परफेक्ट डिजाइनिंग, परफेक्ट कट और मिरर लाइक फिनिशिंग के साथ कारीगरों ने अपनी कुशलता का परिचय दिया है। Barabar Caves में कई सारी और भी गुफाएं जैसे गोपिका Cave, Sudama Cave, विश्वकर्मा Cave इत्यादि का भी निर्माण किया गया था। Barabar Caves के बाद इस प्रकार के कई और गुफाओं का निर्माण भारत के दूसरे हिस्से में किया गया, इनमें से प्रमुख Karla Cave और अजंता केव है।
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कैलाश मंदिर (Kailash Temple)
कैलाश मंदिर को भी चट्टान काट कर बनाया गया है। चट्टान काट कर बनाए जाने वाले मंदिरों में ये मंदिर सबसे बड़ा और आकर्षक है। इस मंदिर का निर्माण आठवीं सदी में राजा कृष्ण प्रथम ने महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में करवाया था। निर्माण कार्य 756 से 773 ईस्वी तक चला। कैलाश मंदिर Ellora Cave में स्थित है। कैलाश मंदिर को यूनेस्को में वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर में भी शामिल किया है। कैलाश मंदिर में 16 पिलर, खिड़की, कमरा और हॉल बनाया गया है। मंदिर की दीवारों पर कामुक चित्र उकेरी गई है। मंदिर के निचले हिस्से में हाथी को इस आकार में बनाया गया है कि देखने वाले को यही लगता है कि हाथी ने ही पूरे मंदिर का भार संभाला हुआ है। मंदिर की दीवारों और पिलर पर बारीक नक्काशी की हुई है जो दिखने में बहुत ही आकर्षक है। मंदिर में महाभारत और रामायण की कहानी से प्रेरित चित्र भी बनाई गई है।
वेट्टुवन कोइल (Vettuvan Koil)
इस मंदिर का निर्माण आठवीं सदी में तमिलनाडु के थूथुकुड़ी (Thoothukudi) जिले में किया गया है, हालांकि इस मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हो सका। निर्माण पूरा नहीं होने की वजह बाप बेटे की लड़ाई बताई जाती है। मंदिर का निर्माण पांडियन वास्तुकला में किया गया है। मंदिर तीन तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है। मंदिर में शिव भगवान, नंदी, उमा, नर्तकी, शेर और बंदर के चित्र को बहुत ही खूबसूरती से बनाया गया है।
वराह गुफा मंदिर (Varaha Cave Temple)
यह मंदिर तमिलनाडु के कांचीपुरम (Kancheepuram) जिले में स्थित है। मंदिर का निर्माण सातवीं सदी में किया गया था। Varaha Cave Temple यूनेस्को के वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर में भी शामिल है। मंदिर को विश्वकर्मा वास्तुकला में बनाया गया है। मंदिर में विष्णु, दुर्गा और लक्ष्मी जी की चित्र बनाई गई है। मंदिर की दीवारों पर विभिन्न मुद्राओं में बैठे व्यक्ति की चित्र बनाई गई है। मंदिर के निचले हिस्से में बैठे हुए दो शेर की चित्र भी बनाई है।
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चेन्नाकेशव मंदिर (Chennakesava Temple)
चेन्नाकेशव मंदिर (Chennakesava Tample) का निर्माण 12वी सदी में कर्नाटक के सोमनाथपुर में किया गया है। मंदिर को केशव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। ये मंदिर वैष्णव मंदिर है और कावेरी नदी के किनारे स्थित है। मंदिर का निर्माण Somanatha Dandanayaka ने करवाया था। मंदिर को चट्टान काट कर Hoysala वास्तुकला के अनुसार बनाया गया है। मंदिर की आधार शिला तारा के आकार में अष्टकोणीय बनाया गया है। अष्टकोणीय आधार शिला वाला चट्टान काट कर बनाया जाने वाला ये एक मात्र मंदिर है। मंदिर के गर्भगृह में विष्णु भगवान के कई अवतार की चित्र बनाई गई है।
कुम्भलगढ़ का दुर्ग (Kumbhalgarh Fort)
राजस्थान के राजसमंद (Rajasmand) जिले में कुंभलगढ़ का किला मौजूद है। इस किले को 15वी शताब्दी में पहाड़ के शिखर पर राणा कुम्भा ने बनवाया था। ये किला 36 किलोमीटर लंबे दीवार से घिरा हुआ है। इस दीवार को ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया के नाम से भी जाना जाता है। इस दीवार के अंदर 360 से ज्यादा मंदिर बनाए गए थे। इस किले में पत्थर से बना गणेश मंदिर और पार्श्व नाथ मंदिर भी है।
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पत्थरों को काटकर मंदिर बनना, उस पर बारीक नक्काशी बनाना और आकृति उकेड़ना आज के समय में भी काफी मुश्किल काम है। हजारों साल पहले हमारे पूर्वज किस तकनीक का उपयोग कर के चट्टानों को काट कर गुफा और मंदिर बनाते थे, ये आज तक रहस्य ही है।