महिलाओं में बांझपन
भारत में महिलाओं में Infertility की समस्या बढ़ रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका सबसे बड़ा कारण महिलाओं की ओवरी में अंडों का न बनना है। Pregnancy के लिए अंडे की Quality सबसे महत्वपूर्ण Factors में से एक है। लेकिन यह एक ऐसा विषय है जिसके बारे में कई लोग कभी नहीं सोचते हैं? अक्सर लोग इस पर तब ध्यान देते हैं जब वह कम से कम 1 वर्ष से असुरक्षित यौन संबंध बना रहे हो, पर महिला प्रेग्नेंट ना हो रही हो। Eggs की Quality में कमी बहुत से कारणों की वजह से होती है और खराब अंडे की Quality यह बांझपन के सबसे आम कारणों में से एक है।
अंडे की Quality महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भ्रूण की Quality को निर्धारित करती है। खराब अंडे की Quality भ्रूण में कुछ Chromosomal Imbalance बना सकती है। लेकिन ज्यादा मामलों में यही देखा गया है कि महिला अंडा ना बनने की वजह से कभी गर्भवती नहीं हो सकती। इसे आप Ovulation से समझ सकते हैं।
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Ovulation क्या होता हैं?
महिलाओं को प्रेगनेंट होने के लिए अंडाशय में अंडों का बनना जरूरी होता है। जब अंडाशय में अंडों का निर्माण होता है तो ये अंडे फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से गर्भाशय (Uterus) में पहुंचते हैं। वहां जब पुरुष का स्पर्म महिला के अंडे से मिलता है तो Fusion की क्रिया होती है। इसके बाद Fused अंडा गर्भाशय की दीवार से चिपक जाता है और भ्रूण के रूप में विकसित होने लगता है। इसकी अवधि पूरी हो जाने के बाद महिला बच्चे को जन्म देती है। लेकिन जिन महिलाओं के गर्भाशय में ये पूरी प्रक्रिया नहीं हो पाती हैं उन महिलाओं को बांझपन की समस्या होती है।
अब सवाल है कि ये अंडे महिलाओं में बनते कैसे हैं। तो बता दें कि हर महिला के शरीर में दो अंडाशय होते हैं। ये अंडाशय बच्चेदानी के दोनों तरफ जुड़े होते हैं, जिसमें छोटे-छोटे अंडे भरे हाते हैं। इनकी संख्या पैदा होते ही सीमित हो जाती है। यानि की दोनों अंडाशय में 10 से 20 लाख अंडे होते हैं। इनमें से कुछ अंडे ऐसे होते हैं जो खत्म हो जाते हैं, बाकी अंडे उम्र के बढ़ने के साथ ही कम होने लगते हैं। पहले पीरियड से लास्ट पीरियड के बीच महिलाओं के अंडाशय में ऐसे 400 अंडे होते हैं, जो काम आते हैं। इन अंडों का आकार मात्र 120 माइक्रॉन होता है।
महावारी के तीसरे या चौथे दिन 4-4 अंडे पकने लगते हैं और बढ़ने लगते हैं। इनमें एक अंडा ऐसा होता है, जिसे डॉमिनेशन फॉल्कन कहा जाता है। ये अंडा बाकी अंडों के मुकाबले ज्यादा अच्छा माना जाता है। बाकी के अंडे तो धीरे-धीरे खत्म हो जाते हैं लेकिन ये अंडा धीरे-धीरे बढ़ना शुरू हो जाता है। जब ये डॉमिनेशन फॉल्कन पूरी तरह से पक जाता है तब ये फूटकर ट्यूब में आ जाता है। उसी समय अगर संभोग हो जाए, तो एक अंडा और एक शुक्राणु मिल जाते हैं और एक भ्रूण बन जाता है, जिसे फर्टिलाइजेशन कहा जाता है।
वल्र्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के आंकड़ों के अनुसार भारत में 10-15 प्रतिशत कपल्स प्राइमरी इनफर्टिलिटी के शिकार हैं, इस स्थिति में महिला कभी मां नहीं बन सकती। जबकि सैकंड्री इनफर्टिलिटी के चासेंस, महिला को पहली प्रेग्नेंसी के बाद जीवन में कभी भी बन सकते हैं। ऐसे में अगर आप इस समस्या से बचना चाहती हैं तो हमारा ये आर्टिकल आपके लिए बहुत फायदेमंद है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे महिलाओं में अंडे न बनने के कारण और उनके निवारण के तरीके:
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Polycystic Ovarion Syndrome (पीसीओएस)
पीसीओएस harmonal imbalance का कारण बनता है, जो ovulation यानी कि महिला के शरीर में अंडे बनाने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है ।ovulation के इंबैलेंस के कारण शरीर में बहुत सी समस्याएं देखने को मिलती हैं इनमें सबसे आम है मोटापा, चेहरे पर बहुत ज्यादा बाल उगना या फिर शरीर पर बाल उगना और मुंहासे। महिलाओं में बांझपन का यह सबसे मुख्य और आम कारण बनता जा रहा है।
Hypothalamic Dysfunction
हमारे शरीर में पिट्यूटरी ग्लैंड होते हैं जिनकी वजह से mahila के शरीर में हर महीने कुछ हार्मोन बनते हैं।यह महिलाओं में ovulationकी प्रक्रिया को करवाते हैं। इनमें सबसे ज्यादा बनने वाले हार्मोन एफएसएस (fsh)और एलएच (LH)होते हैं। इनका समान मात्रा में ना बनने की वजह से शरीर में बहुत से बदलाव आते हैं जैसे कि वजन का अचानक से कम होना या बढ़ जाना। इतना ही नहीं यह महिला के शरीर में अंडे बनने की प्रक्रिया को रोककर बांझपन की समस्या पैदा करते हैं।
Premature Ovarian Failure
इसे Primary Toxin Induced Ovarian Failure भी कहा जाता है। यह विकार आमतौर पर Autoimmune Process है या आपके Ovary से अंडे को समय से पहले नुकसान से होता है। यह Genetic या Chemotherapy की वजह से भी होता है। Ovaries अब अंडे का उत्पादन नहीं करता है, और यह 40 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में Estrogen Harmone का बनना कम करता है।
Extra Prolactin Synthesis
पिट्यूटरी ग्लैंड प्रोलेक्टिन (Prolactin) नाम का एक हार्मोन महिलाओं के शरीर में बनाता है। इस हार्मोन की वजह से कोई भी महिला बच्चे को जन्म देने के बाद उसे दूध पिलाने के लिए सक्षम होती है। क्योंकि यह हार्मोन महिला के शरीर में मेमोरी ग्लांस (Memory Glands) यानी कि दूध बनाने वाली कोशिकाओं को Active करता है। लेकिन अगर यह महिला के शरीर में बिना Pregnancy के बनना शुरू हो जाए, तो यह Estrogen के उत्पाद को कम करता है और बांझपन का कारण बन सकता है।
Fallopian Tube की बनावट
कई बार ऐसा भी देखा गया है कि यदि महिला की फेलोपियन ट्यूब में किसी प्रकार की कोई चोट हो अथवा फैलोपियन ट्यूब कुदरती तरीके से बंद हो, तो यह बने हुए अंडों को गर्भाशय में जाने से रोकते हैं। इतना ही नहीं इसमें और भी और भी कई बीमारियां शामिल है। जैसे पेल्विक एरिया में सूजन गोनोरिया या अन्य यौन संचारित बीमारियां जैसे कि एचआईवी।
पेट में पिछली सर्जरी जिसमें अस्थानिक गर्भावस्था के लिए सर्जरी शामिल है, जिसमें एक Fused अंडा गर्भाशय के बजाय फैलोपियन ट्यूब में विकसित होता है। पैल्विक तपेदिक, दुनिया भर में ट्यूबल बांझपन का एक प्रमुख कारण है।इतना ही नहीं कुछ और कारण भी है जिनकी वजह से अंडों का सही तरह से बनना मुमकिन नहीं हो पाता। और यह बांझपन की एक वजह बन जाता है वह कारण कुछ इस प्रकार :-
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उम्र
एक रिसर्च के अनुसार महिलाओं की उम्र अंडे की गुणवत्ता पर बहुत असर डालती है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ेगी, वैसे -वैसे ओवरी में अंडे बनने की क्षमता कम होती जाएगी। एक महिला के अंडे की Quality और मात्रा बढ़ती उम्र के साथ कम होने लगती है, जिसके परिणामस्वरूप कम और खराब गुणवत्ता वाले अंडे बनने लगते हैं। इससे Concieve करना ज्यादा मुश्किल हो जाता है और मिसकैरिज का खतरा बढ़ जाता है।
धूम्रपान
आपके Cervix और फैलोपियन ट्यूब को नुकसान पहुंचाने के अलावा, धूम्रपान आपके गर्भपात और अस्थानिक गर्भावस्था के जोखिम को बढ़ाता है। आपके शरीर में बड़े आपके शरीर में बड़े अंडों को समय से पहले तोड़ देता है और स्पर्म के साथ मिलने का मौका ही नहीं देता। इसलिए जितना हो सके धूम्रपान को Avoid करें।
वजन
अधिक वजन या काफी कम वजन का होना सामान्य ओवुलेशन को प्रभावित कर सकता है। स्वस्थ बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) प्राप्त करने से ओव्यूलेशन और गर्भावस्था की संभावना बढ़ सकती है।
यौन इतिहास
क्लैमाइडिया और गोनोरिया जैसे Sexally Transmitted Disease फैलोपियन ट्यूब को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यह Insecure Sexual Relation की वजह से होता है।
अंडे समान मात्रा में बन रहे हैं या नहीं इसका पता कैसे चलता है?
किसी भी महिला के अंडाशय में अंडे बन रहे हैं या नहीं, ये पता करने के लिए सोनोग्राफी कराना बेस्ट तरीका है। इसमें दिख जाएगा कि अंडाशय में अंडे कितने बन रहे हैं, किसी तरह की गांठ तो नहीं है, अंडाशय का आकार कैसा है। इसके अलावा एक ब्लड टेस्ट जिसे एएमच (AMH) कहा जाता है। इस हार्मोन की मात्रा ये अंदाजा देती है कि किसी भी महिला के अंडाशय में कितने अंडे हैं और कितने बन सकते हैं। बता दें कि एएमच की वैल्यू ढाई से 4 के बीच होती है। जिन महिलाओं में एएमच की वैल्यू ढाई से कम होती है, उनमें जाहिर तौर पर अंडों की संख्या बहुत कम होती है और भविष्य में ये और भी कम हो जाती हैं, लेकिन जिन महिलाओं में एएमच की वैल्यू 4 से ज्यादा होती हैं, वो महिलाएं पीसीओएस की शिकार होती हैं।
इन समस्याओं से कैसे बचा जा सकता है?
अगर आप जल्द ही या भविष्य में गर्भवती होने के बारे में सोच रही हैं, तो इन टिप्स से गर्भ धारण करने में आपको मदद मिल सकती है –
एक सामान्य वजन बनाए रखें।
अधिक वजन और कम वजन वाली महिलाओं में ओवुलेशन Disturbancr का खतरा बढ़ जाता है। यदि आपको अपना वजन कम करने की आवश्यकता है, तो Exercise करें।
धूम्रपान छोड़ो
तंबाकू सेवन और स्मोकिंग से आपके शरीर पर ही नहीं बल्कि आपके ओवुलेशन प्रोसेस पर भी बहुत गलत प्रभाव पड़ते हैं। यदि आप धूम्रपान करते हैं और गर्भावस्था धारण करने का विचार कर रहे हैं, तो सबसे पहले धूम्रपान या फिर स्मोकिंग करना छोड़ दें।
शराब से बचें
कोई भी महिला जिसको ज्यादा मात्रा में शराब पीने की आदत है, उसकी प्रेगनेंसी कंसीव करने की क्षमता कम हो जाती है। और अगर वह महिला प्रेगनेंसी कंसीव कर भी लेती है, तो इसका सीधा असर भ्रूण की सेहत पर पड़ता है। इसलिए अगर आप प्रेगनेंसी कंसीव करने के बारे में सोच रहे हैं, तो अपनी शराब पीने की आदत को कम कीजिए।
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तनाव कम करना
कुछ रिसर्च से यह पता चला है कि आपके दिमाग का स्ट्रेस लेवल भी, आपके शरीर में बनने वाले हारमोंस के लेवल को Effect करता है। इसलिए हमारी आपको यही सलाह है कि यह कम से कम स्ट्रेस लें, ताकि आप अच्छे से प्रेगनेंसी कंसीव कर सकें।
कैफीन को सीमित करें
शोध बताते हैं कि प्रतिदिन 200 मिलीग्राम से कम कैफीन का सेवन गर्भवती होने की आपकी क्षमता को प्रभावित नहीं करता। इसलिए हमारी आपसे यही सलाह है कि 1 दिन में सिर्फ एक से या दो कप कॉफी ही ले।
डॉक्टरी सलाह
जब भी आपको लगे कि आप लगातार कोशिश करने के बावजूद भी प्रेगनेंसी कंसीव नहीं कर पा रही है। तो सबसे बेहतर उपाय यही है कि आप किसी अच्छे डॉक्टर की सलाह अवश्य ले। आज के समय में बांझपन की समस्या आम होती जा रही है। इससे निजात पाने के लिए टेक्नोलॉजी और साइंस का सहारा लेकर बहुत सी ऐसी तकनीकों को विकसित कर लिया गया है, जिनको अपनाकर बांझपन की या फिर अंडे ना बनने की समस्या को हल किया जा सकता है।
तो दोस्तों अगर आपका भी इस आर्टिकल से रिलेटेड कोई सवाल जबाब है तो हमे कमेंट जरूर करें। धन्यवाद