ये मशीनें देखकर आपके तोते उड़ जाएंगे
हेलो दोस्तों, Machoo Fact की रोचक और ज्ञान से भरी दुनिया में आपका स्वागत है। दोस्तों हम लोग हमेशा यही सोचते हैं कि हम हमारी पिछली पीड़ियों से कई गुना ज्यादा समझदार और आधुनिक हैं लेकिन आज हम जिन चीज़ों के बारे में बताने जा रहे हैं, वो आपकी सोच को पूरी तरह बदल देने वाली हैं। जी हाँ दोस्तों प्राचीन जमाने में मिलीं ये चीज़ें सबूत है कि हमारे पूर्वज भी काफी विकसित थे। तो चलिये शुरु करते हैं:-
4. प्राचीन कंप्यूटर
दोस्तों यदि हमसे कोई पूछे कि पहले एनालॉग कंप्यूटर कब बना था, तो हम यही बताएंगे कि यह 20 सदी की देन है। लेकिन दोस्तों समुद्र की गहराई में हमे पुरानी सभ्यता की एक मशीन हाथ लगी है, जिसका उपयोग यूनान के लोग सूर्य और चंद्र की स्थिति का पता लगाने के लिए किया करते थे।
यह मशीन करीब 2000 वर्ष पुरानी मानी जा रही है। इस मशीन को वैज्ञानिकों ने एंटीकाइथेरा नाम दिया है। यह मशीन सन् 1901 में समुद्र में दफन एक जहाज में मिली थी। जिस वैज्ञानिकों ने कई वर्ष तक अध्ययन किया, जिसके बाद यह निष्कर्ष निकाला कि यह उस जमाने की एक उन्नत मशीन थी।
3. बगदाद बैटरी
दोस्तों यदि आप मानते हैं कि हमसे पहले की सभ्यता इतनी आधुनिक नही थी कि वह बिजली और इसके उत्पादन के बारे में जानते हो, तो शायद बगदाद में मिली करीब 2500 साल पुरानी बैटरी के बारे में जानकर आपके विचार बदल जाएंगे।
कुछ साल पहले बगदाद में एक सिरेमिक पॉट, तांबे की एक ट्यूब, और लोहा की छड़ी एक साथ मिली थी। इन तीनो का संयोजन कुछ इस तरह से था जिस पर वैज्ञानिकों को यकीन ही नही हुआ। यह सब मिलकर एक बैटरी का निर्माण कर रहे थे। जिसका उपयोग कई कार्यों में किया जाता रहा होगा।
2. प्राचीन न्यूक्लियर रिएक्टर
दोस्तों हम सब यही जानते हैं कि न्यूक्लिअर रिएक्टर 20 सदी की देन हैं, और हमसे पहले किसी भी सभ्यता को इस बारे में ज्ञान नही था। लेकिन साउथ अफ्रीका के एक क्षेत्र ओकलो गबॉन में जो मिला उस पर वैज्ञानिकों को यकीन नही हुआ।
सन् 1972 में इस जग़ह पर फ्रांस के फिससिस्ट ने यूरेनियम-235 की उपस्थिति पाई। उसके बाद जब प्रयोग किये गए तो वहाँ पर प्लुटेनिअम-95 के प्रमाण भी मिले। यह तत्व न्यूक्लिअर रिएक्टर में न्यूक्लिअर फ्यूज़न के दौरान बनते हैं। जिसके बाद कुछ वैज्ञानिकों ने तो यह कहा कि हो सकता है कि यह माइन 2 लाख साल पहले बना एक प्राकृतिक न्यूक्लिअर रिएक्टर हो, लेकिन माइन के नीचे पानी की मौजूदगी इस बात की तरफ भी इशारा करती है कि यह कृतिम रूप से बनाई गई एक प्राचीन न्यूक्लिअर रिएक्टर हो।
1. पूमा पंकू
बोलिविया में तिवानकु के पास स्थित एक बड़े मंदिर परिसर का नाम प्यूमा पंकू है। इस मंदिर की संरचना में जिस तरह की उन्नत तकनीक के उदाहरण देखने को मिलते हैं, वह वैज्ञानिकों को बहुत हैरान करता है। इस मंदिर परिसर का निर्माण कब और क्यों हुआ, इसका कोई लिखित प्रमाण तो नही मिलता है, लेकिन कार्बन डेटिंग पद्धति का उपयोग करके पता लगाया गया है कि इसका निर्माण काल 300 से 1000 ईसवी के बीच माना जाता है।
इस परिसर के पत्थरों पर जिस निपुणता के साथ काम किया गया है, उसे देखकर यह बिलकुल भी नही लगता है, कि यह निर्माण उस सभ्यता के द्वारा किया गया है, जिन्हें न तो पहिये का ज्ञान था, न ही लिखने पढ़ने का। ऐंडेसाइट स्टोन और लाल सैंड स्टोन को बहुत ही कुशलता से तराशा गया है।
इस कुशलता का अनुमान इस बात से लगा सकते हैं कि पत्थर के बीच के जोड़ को किसी भी तरीके से जोड़ा नही गया है। लेकिन फिर भी इसके बीच मे एक ब्लेड तक जाने की जगह नही है। वही इन पत्थरों का वजन 10 टन से ज्यादा है। ऐसे में इतने वजनी पत्थरों को परिसर तक कैसे लाया गया होगा, यह वैज्ञानिकों के लिए अभी तक अबूझ पहेली है।
तो दोस्तों कैसी लगीं ये सभी चीज़ें… क्या आप कभी सोच सकते थे कि प्राचीन जमाने में भी ये चीज़ें हो सकती थीं।
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