आंध्र प्रदेश की तिरुमाला पहाड़ियों पर स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर दुनिया के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। आपको जानकर आश्रर्च होगा कि यह मंदिर विश्व का सबसे अमीर मंदिर है। राज्य के चित्तूर जिले में स्थित यह तिरुपति बालाजी रोजाना बेहिसाब चढ़ावा ग्रहण करता है। इस मंदिर को श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार यहां रोजाना लाखों की तादाद में श्रद्धालुओं का आगमन होता है।
इस मंदिर के दर्शन की एक खास मान्यता यह भी है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई मुराद अवश्य पूरी होती है। इसलिए सुबह से ही यहां दूर-दराज से आए भक्तों और पर्यटकों का मेला लग जाता है। लेकिन आज हम इस मंदिर के विषय में आपको एक ऐसे तथ्य से रूबरू कराने जा रहे हैं, जो सच में आपको आश्चर्यचकित कर देंगे।
ऐसा कहा जाता है यहां वेंकटेश्वर स्वामी के सर पर लगे बाल बिल्कुल असली हैं और यह आपस में कभी नहीं उलझते हैं। और यह बेहद मुलायम भी हैं। लोगों का मानना है यहां असलियत में वेंकटेश्वर स्वामी का निवास है।
कहा जाता है 18 वीं शताब्दी में जब मंदिर की दीवार पर 12 लोगों को फांसी दी गई थी। तब से वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में प्रकट होते रहते हैं। तब मंदिर को 12 वर्ष के लिए बंद कर दिया गया था। क्योंकि वहां के राजा ने उन 12 लोगों को मौत की सजा दी थी। उन्हें मंदिर के गेट पर लटका दिया था।
अगर आप तिरुपति बालाजी जाते हैं और बालाजी की मूर्ति पर कान लगाकर सुने तो आप आश्चर्यचकित हो जाएंगे। क्योंकि कान लगाने पर आपको वहां समुद्र के पानी की आवाज का अनुभव होगा। इसी कारण बालाजी की मूर्ति हमेशा ही पानी से गीली रहती है। और साथ ही आपको वहां एक गजब शांति का एहसास होगा।
मंदिर में मुख्य द्वार के सामने दाहिनी ओर एक छड़ी है। जिस छड़ी के बारे में कहा जाता है इसी छड़ी से बालाजी के बाल रूप में पिटाई की गई थी। जिस कारण उनकी थोड़ी (thoddi)पर चोट आ गई थी। तब से लेकर आज तक उनकी थोड़ी पर चंदन का लेपन किया जाता है ताकि उनका घाव भर जाए।
बालाजी के सम्मुख एक दिया हमेशा चलता रहता है, जिसमें ना कभी तेल डाला जाता है और ना घी। इसमें आश्चर्य वाली बात यह है कि इस दिये के विषय में कोई नहीं जानता कि यह दिया कब और किसने जलाया था। किसी से भी इसके बारे में पूछो तो बस यही कहता है यह दिया वर्षो से जलता आ रहा है।
जब आप बालाजी मंदिर के गर्भ गृह में जाते हैं तब आपको मूर्ति गर्भ ग्रह के मध्य में दिखाई देती है। किंतु बाहर निकलने पर यही मूर्ति जो अभी मध्य में थी, वह दाएं और दिखाई देती है।
भगवान तिरुपति बालाजी के शरीर पर एक खास तरह का पचाई कपूर लगाया जाता है। जिसको किसी पत्थर पर लगाया जाए तो वह कुछ समय बाद ही चटक जाता है। किंतु भगवान की प्रतिमा को इसी कपूर से कोई नुकसान नहीं पहुंचता।
मंदिर में भगवान की मूर्ति पर जितने भी फूल और पत्ती चढ़ाई जाती हैं, उनको किसी भक्तों को नहीं दिया जाता। बल्कि पीछे स्थित एक जल कुंड में प्रभावित कर दिया जाता है। क्योंकि उनको देखना और उन्हें रखना अच्छा नहीं माना जाता।
प्रत्येक गुरुवार को भगवान तिरुपति बालाजी को चंदन का लेप लगाया जाता है। और जब किसी लेप को हटाया जाता है। तो वह खुद-ब-खुद भगवान के शरीर पर माता लक्ष्मी की मूर्ति को स्पष्ट देखा जा सकता है। यह आज तक नहीं पता चल पाया कि कि ऐसा क्यों होता है। उसके बाद, भगवान तिरुपति बालाजी को नीचे धोती और ऊपरी हिस्से पर साड़ी से ढका जाता है।
मंदिर से 23 किलोमीटर दूर एक गांव है। जिस गांव का यह नियम है कि वहां कोई बाहरी व्यक्ति प्रवेश नहीं कर सकता। वहां पर लोग नियम से रहते हैं और उस गांव से लाए गए फूल और पत्तियों को भगवान को अर्जित किया जाता है। और केवल वही के दूध, घी और मक्खन का भोग भगवान को लगाया जाता है।
इस मंदिर में दुनिया में सबसे ज्यादा दान किया जाता है। मान्यता अनुसार, इस मंदिर में दान करने की परंपरा विजयनगर के राजा कृष्ण देव राय के समय से ही चली आ रही है। राजा कृष्णदेव राय इस मंदिर में सोने चांदी और हीरे मोती का दान किया करते थे।
दोस्तों यह थे कुछ आश्चर्यजनक रहस्य। जो तिरुपति के बालाजी मंदिर के बारे में हमने आपके साथ इस आर्टिकल में शेयर किये। दोस्तों अगर आपका इस पोस्ट से सम्बंधित कोई सवाल जबाब है, तो आप हमे कमेंट कर सकते हैं।